Trump Tariff अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर एक बड़ा आर्थिक झटका देते हुए 50% आयात शुल्क (Tariff) लगाने का ऐलान किया है। यह कदम मुख्य रूप से भारत के रूस से जारी तेल आयात को लेकर उठाया गया है। इस फैसले के बाद भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ने की आशंका है।
Trump Tariff 50% आयात शुल्क का मामला

ट्रंप प्रशासन ने 6 अगस्त 2025 को घोषणा की कि भारत से अमेरिका जाने वाले सामान पर पहले से लागू 25% टैरीफ में 25% और जोड़ा जाएगा, जिससे कुल टैरीफ दर 50% हो जाएगी। यह कदम केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे पहले ब्राज़ील पर भी 50% टैरीफ लगाया गया था। ट्रंप का दावा है कि यह निर्णय अमेरिका के हितों और “आर्थिक स्वतंत्रता” की दिशा में लिया गया है।
Trump Tariff पर तर्क और रूस से तेल आयात पर विवाद

डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि भारत का रूस से तेल आयात करना अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को आर्थिक मदद देना है। इसी कारण उन्होंने भारत को चेतावनी दी थी कि यदि रूस के साथ तेल व्यापार नहीं रोका गया तो भारी टैरीफ लगाया जाएगा। ट्रंप के मुताबिक यह टैरीफ अमेरिका के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए और “न्यायपूर्ण व्यापार” स्थापित करने के लिए जरूरी है।
भारत की प्रतिक्रिया और संभावित असर

भारत सरकार ने इस निर्णय को “अनुचित और एकतरफा कदम” बताया है। भारतीय व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि –
टेक्सटाइल, चमड़ा उद्योग, समुद्री उत्पाद और छोटे निर्यातक (MSMEs) पर इसका सीधा असर पड़ेगा। भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ सकता है। अमेरिकी बाज़ार में भारतीय उत्पादों की कीमतें बढ़ने से प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है। वहीं विपक्षी दलों ने इसे भारत पर आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश करार दिया है।
आगे की रणनीति
भारत इस फैसले के खिलाफ वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) में शिकायत दर्ज करने पर विचार कर सकता है। साथ ही सरकार अन्य देशों के साथ नए व्यापारिक समझौते कर अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करने की दिशा में भी कदम उठा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला भारत को अपनी ऊर्जा नीति और व्यापारिक रणनीति में बदलाव के लिए मजबूर कर सकता है।