Thailand Cambodia war इस साल का 6वां युद्ध है 2025 में भारत-पाकिस्तान , युक्रेन-रूस , इजरायल-हमास , सूडान (आतंरिक) , ईरान-पाकिस्तान और अब थाईलैंड-कंबोडिया युद्ध हो चुके हैं, हथियारों का बिक्री बढ़ चूका है , इससे दुनिया तबाह हो सकती है | 2025 युद्धों का साल बन चूका है | थाईलैंड-कंबोडिया युद्ध जो प्रीह विहार और ता मुएन थोम मंदिरों के पास सीमा विवाद से शुरू हुआ | 24 जुलाई 2025 को, थाईलैंड और कंबोडिया की सीमावर्ती विवादित ज़मीन पर तनातनी है |
Thailand Cambodia war कैसे हुआ

Thailand Cambodia war में युद्ध स्थल रहा प्रासात ता मुएन थोम मंदिर परिसर, जिसमें ड्रोन गतिविधियां, ताजा FIRE EXCHANGES, BM‑21 रॉकेट और भारी तोपों का प्रयोग शामिल था। थाईलैंड ने F‑16 लड़ाकू विमानों का प्रयोग कर कंबोडियाई सैन्य प्रतिष्ठानों पर हवाई हमले किए | दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर हवाई हमलों और नागरिक क्षेत्रों में गोलीबारी करने का आरोप लगाया। थाईलैंड ने अस्पताल पर तोपखाने का हमला, जिसे युद्ध अपराध भी कहा गया, का आरोप लगाया।
युद्ध का प्रशासनिक प्रतिक्रिया

थाईलैंड ने कंबोडिया का राजदूत निष्कासित किया और सभी सीमा चौकियाँ बंद कर दीं | कंबोडिया ने भी थाई राजदूत वापस बुलाया तथा दोनों देशों ने कूटनीतिक संबंधों को काफी हद तक गिरा दिया। थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने कहा कि लड़ाई “एक पूर्ण युद्ध में परिवर्तित हो सकती है”, और संघर्ष के समाप्त होने के बाद ही वार्ता संभव होगी | कंबोडिया ने यूएन सुरक्षा परिषद से आपात बैठक का आग्रह किया |
संघर्स का इतिहास
यह संघर्ष 1907 के औपनिवेशिक मैपिंग समझौते से शुरू हुई सीमा विवाद की पुरानी जटिल विरासत से जुड़ा है, जिसे 1962 में ICJ (अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय) ने आंशिक रूप से सुलझाने की कोशिश की थी। पर विवाद अभी भी जारी है। मई 2025 में एक सीमावर्ती झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई थी, जिससे तनाव बढ़ा | जून 2025 में थाई प्रधानमंत्री के एक लीक कॉल ने राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया और राष्ट्रीयतावादी भावना बढ़ाई, जिससे सीमा विवाद में और भी गरमाहट आई |
युद्ध से हुआ नुकसान

24 जुलाई 2025 को थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर गतिरोध हिंसक संघर्ष बन गया जिसमें दोनों देशों ने भारी हथियारों का उपयोग किया, हवाई हमले किए, और सीमा क्षेत्र में व्यापक विस्थापन हुआ। इस संघर्ष में दर्जनों नागरिक मारे गए, सौ हजारों लोग विस्थापित हुए, और कूटनीतिक रिश्ते चरम पर बिगड़ गए। यह सबसे गंभीर सीमा संघर्ष है पिछले एक दशक में, जिसकी जड़ें औपनिवेशिक मैपिंग, मंदिरों के अधिकार, और हालिया राजनैतिक विवादों में गहरी हैं |