Pooja Pal उत्तर प्रदेश की एक होनहार बेटी ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया है, जिसने न केवल भारत में, बल्कि जापान जैसे तकनीकी देश में भी अपनी पहचान बना ली है। यह कहानी है Pooja Pal की जो यूपी के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखती हैं, लेकिन उनके सपनों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा दिया।
पूजा उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले, सिरौली गौसपुर तहसील के गांव अगेहरा की रहने वाली हैं वह एक साधारण परिवार से आती हैं उनके पिता मजदूर हैं, मां एक स्कूल में रसोईया है। घर में बिजली नहीं थी, और उन्होंने चिराग की रोशनी में पढ़ाई की थी, जब तक कि हाल ही में विद्युत विभाग ने मीटर लगाकर बिजली कनेक्शन शुरू किया |
धुल रहित थ्रेसर का अविष्कार किया
उन्होंने 8वीं कक्षा में यह मॉडल बनाया। भारत में गेहूं की कटाई के दौरान होने वाली धूल स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और गांव वालों की परेशानी बनती है।उनकी यह मशीन पानी की टंकी, पंखा और जाली प्रणाली से धूल को पानी में इकट्ठा कर निकाल देती है, जिससे सांस संबंधी परेशानियों में राहत मिलती है | इसे बनाने में उन्होंने लकड़ी और पुरानी टिन का उपयोग किया और अपने शिक्षक राजीव श्रीवास्तव के मार्गदर्शन से मॉडल विकसित किया |
जापान तक का किया सफ़र

पूजा का मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर Inspire Award MANAK 2023 प्रतियोगिता के लिए चुना गया था। इसमें वह पूरे भारत से विजेता घोषित की गईं और उत्तर प्रदेश की अकेली छात्रा थीं जिन्होंने यह सफलता हासिल की | इसी से उन्हें जापान के Sakura Science Exchange Programme के लिए चुना गया, जहां उन्होंने टोक्यो की सुविधाओं व लैब सुविधाओं का अनुभव किया, नोबेल पुरस्कार विजेताओं से मुलाकात की और देश का नाम रोशन किया |
पूजा की उपलब्धियां और प्रभाव

उनका इनोवेशन सरकार के माध्यम से पेटेंट कराने की प्रक्रिया में है, जिससे उनकी रचना को कानूनी सुरक्षा मिल सकेगी | इस उपलब्धि ने न सिर्फ उनके परिवार की, बल्कि पूरे गांव की उम्मीदों को जागृत किया है। गांव में गांव में उनकी कहानी से प्रतिभाशाली छात्रों को प्रेरणा मिल रही है | पूजा पाल एक प्रेरणास्पद बाल वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद एक उपयोगी और प्रभावशाली आविष्कार कर दिखाया। उनकी यह कहानी यह सिखाती है कि छोटे से गांव की बेटी भी अपनी मेहनत और कल्पना से देश का नाम वैश्विक मंच पर चमका सकती है |