Hiroshima Day हर साल 6 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन 1945 में हुई उस परमाणु त्रासदी की याद दिलाता है जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के शहर हिरोशिमा पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराया था। वर्ष 2025 में यह दिन अपनी 80वीं वर्षगांठ के रूप में और भी खास है, क्योंकि पूरी दुनिया एक बार फिर परमाणु हथियारों के खतरे को समझने और शांति का संकल्प लेने के लिए एकजुट हो रही है।
हिरोशिमा का इतिहास

6 अगस्त 1945 की सुबह 8:15 बजे अमेरिकी सेना के B-29 बमवर्षक विमान “एनौला गे” ने “लिटिल बॉय” नामक परमाणु बम हिरोशिमा पर गिराया। इस हमले में करीब 70 से 80 हजार लोग तुरंत मारे गए, जबकि साल के अंत तक यह संख्या 1.4 लाख तक पहुंच गई। इसके बाद 9 अगस्त को नागासाकी पर भी बम गिराया गया, जिसके परिणामस्वरूप जापान ने 15 अगस्त 1945 को आत्मसमर्पण कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ।
Hiroshima Day का महत्व

Hiroshima Day केवल एक ऐतिहासिक घटना की याद नहीं है, बल्कि यह परमाणु हथियारों के खिलाफ वैश्विक चेतावनी है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य परमाणु युद्ध के दुष्परिणामों को याद दिलाना और आने वाली पीढ़ियों को शांति और अहिंसा का संदेश देना है। जापान के हिरोशिमा शहर में हर साल पीस मेमोरियल सेरेमनी आयोजित की जाती है, जिसमें सुबह 8:15 बजे एक मिनट का मौन रखा जाता है, शांति घोषणा पढ़ी जाती है और मोमबत्तियों की रोशनी से मृतकों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
2025 में विशेष आयोजन और वैश्विक अपील
2025 में Hiroshima Day पर करीब 55,000 लोग और 120 देशों के प्रतिनिधि इस समारोह में शामिल हुए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव और विश्व के कई नेताओं ने परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की। इस अवसर पर हिबाकुशा (परमाणु बम से बचे लोग) ने अपने अनुभव साझा किए और दुनिया को यह याद दिलाया कि परमाणु हथियार केवल विनाश लाते हैं, शांति नहीं।