Israel Syria war (13–15 july) इजराइल ने सीरिया को बनाया निशाना दमिक में मिशाइल की बारिश

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Israel Syria war दशकों से चला आ रहा संघर्ष पश्चिम एशिया की सबसे जटिल राजनीतिक और सैन्य टकरावों में से एक है। यह युद्ध सिर्फ दो देशों के बीच की दुश्मनी नहीं है, बल्कि इसमें धर्म, भू-राजनीति, और अंतरराष्ट्रीय हितों का भी गहरा प्रभाव है। 13–15 जुलाई को सीरिया के स्वेइदा (Sweida) क्षेत्र में स्थानीय ड्रूज़ समुदाय और बेडौइन जनजातियों के बीच हिंसक टकराव शुरू हुआ। यह संघर्ष फैलते हुए ड्रूज़ सशस्त्र समूह और सीरियाई संक्रमणकालीन सरकार के बीच में बदल गया। इज़राइल ने ड्रूज़ को लक्षित सरकारी प्रहारों से बचाने के लिए सीरियाई सेना पर 15 जुलाई को हवाई हमले शुरू कर दिए इज़राइली वायुसेना ने ड्रूज़ समुदाय की रक्षा हेतु दमिश्क (दामास्कस) में रक्षा मंत्रालय के प्रमुख केंद्रों और राष्ट्रपति भवन के पास स्थित क्षेत्रों को निशाना बनाया, जिसमें गंभीर क्षति हुई और लोगों की मृत्यु और घायल होने की खबरें आईं ।

Israel Syria war इज़राइल का हस्तक्षेप 

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Israel Syria war इजराइल ने सीरिया को बनाया निशाना


Israel Syria war 13–15 जुलाई के दौरान स्वेइदा में ड्रूज़ मिलिशियाओं और बेडौइन जनजातियों के बीच झड़पें हुईं। यह संघर्ष सरकारी सैनिकों के हस्तक्षेप के बाद और तेज़ हो गया । संघर्ष में कुल मिलाकर ड्रूज़ militiamen, सीरियाई सैनिक सहित सैकड़ों लोग मारे गए ,कुछ रिपोर्टों में कुल मुआवजे 300 से 350 तक बताई गईं । 15 जुलाई को ड्रूज़ नेतृत्व और सरकार के बीच एक अस्त-व्यस्त मोर्चे पर बंदुकबंदी थमाने का समझौता हुआ। हालांकि, कुछ ड्रूज़ नेता जैसे हिकमत अल-हिजरी इसे मानने को तैयार नहीं—उन्होंने लड़ाई जारी रखने का आह्वान किया । इज़राइल के रक्षा मंत्री इस्राएल कैट्ज़ ने घोषणा की कि दमिश्क और स्वेइदा में हमले ड्रूज़ के संरक्षण के लक्ष्य से हो रहे हैं। इज़राइली सेना ने धमकी दी कि यदि सीरियाई सेना दक्षिण इरज़ा (गोलान हाइट्स) के पास ड्रूज़ पर हमला जारी रखती है तो और हमले होंगे ।16 जुलाई को इज़राइली वायुसेना ने दमिश्क में रक्षा मंत्रालय और टीवी स्टूडियो सहित सरकारी भवनों को भारी बमबारी से निशाना बनाया। उस दौरान एक न्यूज एंकर लाइव प्रसारण के दौरान भागते हुए दिखाई दिया सीरियाई संक्रमणकालीन राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने इस हमले को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि ड्रूज़ की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि सीरिया को बाहरी उत्तेजकों द्वारा विभाजित नहीं किया जाएगा । वहीं, तुर्की ने इज़राइल की निंदा करते हुए व्यापार तोड़ने और राजदूत वापस बुलाने तक की घोषणा की । संयुक्त राज्य अमेरिका ने Marco Rubio के जरिए कहा कि सभी पक्षों ने “विवाद को समाप्त करने के लिए विशिष्ट पहलुओं” पर सहमति दी है । अमेरिका ने माना कि इज़रायल-सीरिया संकट को “गलतफहमी” कहा और दबाव बढ़ा कर वार्ता की पहल शुरू की । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस नए मोर्चे को लेकर आपात बैठक बुलाई गई, जिससे स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता व्याप्त है ।


Israel Syria war वर्तमान स्थिति (17 जुलाई )

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Israel Syria war इजराइल ने सीरिया को बनाया निशाना

Israel Syria war इज़राइल की एयर स्ट्राइकें 16–17 जुलाई तक जारी रहीं, जिसमें दमिश्क के सरकारी केंद्रों को बार-बार निशाना बनाया गया | सरकार और ड्रूज़ नेतृत्‍व दोबारा समझौते की ओर लौटे, लेकिन मापक व्यवहार और स्थानीयत्तम असहमति बनी हुई है | तुर्की, अमेरिका, और अन्य क्षेत्रीय शक्ति राज्यों द्वारा तनाव कम करने के प्रयास जारी हैं । 15 जुलाई तक इज़राइल और सीरिया के बीच का यह संघर्ष “ड्रूज़ की रक्षा” के बहाने शुरू हुआ लेकिन अब एक नए मोर्चे का रूप ले रहा है। स्थानीय स्तर पर स्वेइदा में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, मौतें बढ़ीं, और राजनैतिक-भूराजनीतिक खेल तीव्र हुआ है। अंतरराष्ट्रीय दबाव, मध्यस्थ प्रयास और संयुक्त राष्ट्र की निगरानी के बावजूद क्षणिक युद्धविराम ही हासिल हुआ है। हालाँकि इज़राइल यह दावा करता है कि इसका उद्देश्य ड्रूज़ की रक्षा करना है, सीरियाई सरकार इसे घुसपैठ और संप्रभुता का उल्लंघन मान रही है। आगामी दिनों में कूटनीति, क्षेत्रीय मध्यस्थता और ज़मीनी वास्तविकताओं के बीच संतुलन स्थापित करना तय करेगा कि यह संघर्ष भी किसी बड़े युद्ध में तब्दील होता है या नहीं। 

Israel Syria war का इतिहास 

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Israel Syria war इजराइल ने सीरिया को बनाया निशाना

Israel Syria war का विवाद 1948 में इज़राइल के गठन के साथ शुरू हुआ। उसी साल अरब-इज़राइल युद्ध में सीरिया ने इज़राइल के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इसके बाद 1967 के छह दिवसीय युद्ध में इज़राइल ने सीरिया से गोलान हाइट्स (Golan Heights) पर कब्ज़ा कर लिया। यह इलाका सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है और आज तक विवाद का बड़ा कारण बना हुआ है।गोलान हाइट्स एक पहाड़ी क्षेत्र है जो सीरिया और इज़राइल की सीमा पर स्थित है। 1967 में इज़राइल ने इसे कब्जे में ले लिया और 1981 में इसे आधिकारिक रूप से अपने क्षेत्र में शामिल कर लिया। हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे सीरिया का हिस्सा मानता है। सीरिया लगातार इस क्षेत्र को वापस मांगता रहा है, लेकिन इज़राइल इस पर किसी भी तरह की रियायत देने को तैयार नहीं।हाल के वर्षों में सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध और ईरान की भूमिका ने इस संघर्ष को और जटिल बना दिया है। ईरान और हिज़्बुल्ला जैसे संगठन सीरिया में सक्रिय हैं और इज़राइल पर हमले की तैयारी में रहते हैं। इज़राइल ने दावा किया है कि वह अपनी सुरक्षा के लिए सीरिया के अंदर ईरानी ठिकानों और हथियारों पर हवाई हमले करता है। इसके जवाब में सीरिया ने भी इज़राइल के कुछ इलाकों में रॉकेट दागे हैं।अमेरिका, रूस और संयुक्त राष्ट्र इस संघर्ष में कई बार मध्यस्थता की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन ठोस समाधान अभी तक नहीं निकल पाया है। अमेरिका इज़राइल का समर्थन करता है, जबकि रूस सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार का पक्षधर है। इस कारण यह संघर्ष दो महाशक्तियों के टकराव का रूप भी ले चुका है। इस युद्ध का सबसे बड़ा खामियाजा आम नागरिकों को उठाना पड़ा है। दोनों ओर की सीमाओं पर रहने वाले लोग डर और असुरक्षा के माहौल में जी रहे हैं। सीरिया में गृहयुद्ध और इज़राइल के हमलों के चलते हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। इज़राइल-सिरिया युद्ध सिर्फ सीमाओं का संघर्ष नहीं है, यह पश्चिम एशिया में स्थिरता और शांति की राह में सबसे बड़ा अवरोध बन चुका है। जब तक दोनों देश बातचीत के माध्यम से समाधान नहीं निकालते, यह टकराव यूं ही चलता रहेगा और निर्दोष लोग इसकी चपेट में आते रहेंगे।